Thursday, April 16, 2009

अब तो

यह उनकी ताक़त का इम्तिहान है

अब तो दिल से निकाल फेंकेंगे तभी दम लेंगे

kharochen भर रह जाएँगी

नामोनिशान मिट जाएंगे

गर कुछ पुराने दाग होंगे

साथ में छिल जायेंगे

ज़ख्मों का क्या है सिल जायेंगे

दर्द से ही जी लेंगे

खुशबुएँ बदन से आएँगी भी उनकी कभी

तो साँस पर काबू करेंगे, रोक लेंगे

आहटों को गुजरने देंगे रास्तों से, बेपरवाह

पहचाने भी तो raundte से चल देंगे

यह उनकी ताक़त का इम्तिहान है
अब तो दिल से निकाल फेंकेंगे तभी दम लेंगे

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