वो एक ही खोया हुआ झुमका
हर बार घर के अलग अलग कोनों में मिल जाया करता है
तो लगता है दो पल की उम्मीद को
कि दो हैं, दोनों ही हैं
एक यहाँ तो एक वहां
अकेला नहीं वो
भ्रम है शायद, जाने सच क्या है
झुमका झुठला रहा है
कहानियाँ बना रहा है
फिर सजने को ललचाता है
किसी को पूरा नज़र आना चाहता है
खोया वो तो न था,
फिर क्यूँ अकेला अधूरा हो वो
इस बार बस ख़ुद से ही पूरा हो वो
एक अकेला झुमका जो घर में
बार बार मिला करता है।
Sunday, November 29, 2009
Sunday, November 22, 2009
पत्थर पत्थर, ईंट ईंट, हवा हवा
टुकड़ा टुकड़ा सब तलाश लिया है
तू न कहीं मिला
आईने से खो गया था
सपने में सो गया था
ख़ुद सा ही हो गया था
ज़हर ज़हर, पहर पहर
घुला घुला, गुमा गुमा
सब तलाश लिया ...
आंसुओं की भीड़ में
हथेली की हर लकीर में
कलेजे के गुबार में
ग़म के खुमार में
नशा नशा, छुपा छुपा
बुझा बुझा, जला जला
सब तलाश लिया है
तू कहीं न मिला
बटोर बटोर, कठोर कठोर
जाने तू कब निकला किस और
बंधी रह गई एक डोर
एक मेरा छोर एक तेरा छोर,
पकड़ पकड़, जकड जकड
इधर इधर, अधर अधर,
सब तलाश लिया है
तू कहीं न मिला
टुकड़ा टुकड़ा सब तलाश लिया है
तू न कहीं मिला
आईने से खो गया था
सपने में सो गया था
ख़ुद सा ही हो गया था
ज़हर ज़हर, पहर पहर
घुला घुला, गुमा गुमा
सब तलाश लिया ...
आंसुओं की भीड़ में
हथेली की हर लकीर में
कलेजे के गुबार में
ग़म के खुमार में
नशा नशा, छुपा छुपा
बुझा बुझा, जला जला
सब तलाश लिया है
तू कहीं न मिला
बटोर बटोर, कठोर कठोर
जाने तू कब निकला किस और
बंधी रह गई एक डोर
एक मेरा छोर एक तेरा छोर,
पकड़ पकड़, जकड जकड
इधर इधर, अधर अधर,
सब तलाश लिया है
तू कहीं न मिला
Subscribe to:
Posts (Atom)